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काशी:संतान की कामना से लोलार्क कुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब, दूर- दूर तक लगी आस्‍था की कतार, देखें तस्‍वीरें और वीड‍ियो...

काशी:संतान की कामना से लोलार्क कुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब, दूर- दूर तक लगी आस्‍था की कतार, देखें तस्‍वीरें और वीड‍ियो...

वाराणसी। लोलार्क षष्ठी पर गुरुवार रात भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में संतति कामना का रेला उमड़ा। बड़ी आस-विश्वास के साथ लोगों ने रात के 12 बजने के साथ डुबकी लगानी शुरू की तो कब रात गई कब भोर भयी पता ही नहीं चला।

संतति कामना के स्नान के लिए बुधवार दोपहर से ही लोग कतार में लग गए थे। घड़ी की सुइयों ने रात के 12 बजाए तो एक-एक कर श्रद्धालु कुंड के नीचे उतरते गए और सविधि एक निश्चित फल समर्पित कर डुबकियां लगानी शुरू कर दीं। 

मान्यता है कि कुंड में छोड़ा गया उक्त फल विशेष संतान का प्रतीक स्वरूप होता है जिसे दंपती जीवन भर नहीं खाते। स्नान के बाद दंपती अपने पुराने कपड़ों को वहीं परित्याग कर नए या दूसरा धारण कर लेते हैं।
 

इस क्रम में पश्चिमी दिशा से दंपती नीचे उतरते और कुंड के भीतर से ही दक्षिण दिशा में स्थित लोलार्केश्वर महादेव को हाथ जोड़कर नमन करते हुए उत्तर दिशा से कुंड के ऊपर चढ़कर मंदिर के पीछे से संकट मोचन मंदिर महंत आवास, असि पुलिस चौकी, लक्ष्मीबाई जन्म स्थल, रामजानकी मठ होते असि घाट जाने वाली मुख्य सड़क पर निकलते हैं। कुंड में स्नान का यह क्रम भोर के बाद तक चलता रहा। देर रात तक लाखों ने डुबकी लगा ली थी। स्नान का क्रम शुक्रवार को भी जारी रहेगा।
 

अस्सी घाट मार्ग से गोदौलिया तक स्टील की बैरिकेडिंग

स्नानार्थियों की सुविधा के लिए असि घाट और गोदौलिया से लेकर कुंड के प्रवेश द्वार तक स्टील की बैरिकेडिंग की दो पक्तियां बनाई गई थीं। धूप से बचने के लिए उनके ऊपर सफेद चादर की छाजन लगाई गई थी।

जगन्नाथ मंदिर परिसर में चढ़ाई कड़ाही, हुआ मुंडन

पूर्व के वर्षों में लोलार्क कुंड में स्नान के बाद जिन दंपतियों को पुत्र या पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई है, उन्होंने मनोकामना पूर्ण होने की खुशी में बाबा के नाम पर कड़ाही चढ़ाने की परंपरा जगन्नाथ मंदिर परिसर में पूरी की। उक्त बच्चों का मुंडन संस्कार भी वहीं किया।
 

सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। एडीडीपी काशी गौरव वंशवाल, एडीएम सिटी आलोक वर्मा, एसीपी द्वय अतुल अंजान त्रिपाठी, गौरव कुमार भेलूपुर थाना प्रभारी सुधीर त्रिपाठी आदि भीड़ नियंत्रित करने व सुरक्षा व्यवस्था के बाबत चक्रमण करते रहे।