प्लेन क्रैश :: एक गलती ने सब बर्बाद कर दिया, ₹152257647298 की संपत्ति वाला व्यक्ति आज गरीब हो गया...
कभी 30 करोड़ से ज़्यादा की बिक्री करने वाला यह बाज़ार अचानक क्यों बंद हो गया? बिग बाज़ार में ऐसा क्या हुआ कि उसे बेचना पड़ा? रिटेल के बादशाह कहे जाने वाले किशोर बियानी क्यों दिवालिया हो गए?बिग बाजार का उदय और पतन: एक समय था जब इस दुकान पर लंबी कतारें लगी रहती थीं। सुबह पांच बजे दुकान के बाहर हजारों लोग नजर आते थे। ये लोग किसी खास इमारत में घुसना चाहते थे क्योंकि वह खास इमारत लोगों की पसंदीदा शॉपिंग डेस्टिनेशन थी। इस खास दिन पर वहां सस्ता सामान मिलता था। यह भारत के पहले रिटेल स्टोर बिग बाजार का मामला है। बिग बाजार की सफलता अपने चरम पर पहुंच चुकी थी।
पैंट से बने पैंटालून
ये कहानी 1983 में शुरू हुई जब किशोर बियानी कॉलेज में थे। पिता के कारोबार में हाथ बंटाने की बजाय उन्होंने खुद का कारोबार शुरू करने का फैसला किया। कॉलेज के दिनों में उन्होंने देखा कि लड़के एक खास तरह के फाइबर से बने फैशनेबल ट्राउजर पहन रहे हैं। कपड़ा स्टोन वॉश किया हुआ था, जिसकी मांग उस समय भारत में तेजी से बढ़ रही थी। किशोर बियानी ने तुरंत जुपिटर मिल से 200 मीटर कपड़ा खरीदा और शहर में निर्माताओं को बेचना शुरू कर दिया। यहीं से उनकी कारोबारी बनने की शुरुआत हुई। इससे उन्हें लाखों का मुनाफा हुआ। उन्होंने सोचा कि निर्माताओं को बेचने की बजाय अगर वो खुद रेडीमेड ट्राउजर बनाकर बेचें तो मुनाफा ज्यादा होगा। फिर क्या, उन्होंने खुद इसका निर्माण शुरू कर दिया और इसका नाम रखा 'पैंटालून'
फैशन रिटेल टाइकून
किशोर ने इसका नाम पैंटालून इसलिए रखा क्योंकि वे इसे ट्राउजर से जोड़ना चाहते थे। वे चाहते थे कि लोग इसे सामान्य समझें। कारोबार बढ़ा और कोलकाता में पैंटालून का पहला शोरूम खुला। मेन्स वियर के साथ-साथ वूमन वियर और चिल्ड्रन वियर भी शुरू हो गए। कपड़ों के लिए बड़ा स्टोर खोलना सबको बेवकूफी लगी लेकिन किशोर बियानी भविष्य को समझते थे। शॉपिंग के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा था। स्टोर का रंग, लाइटिंग, लुक और फील ऐसा रखा गया कि लोगों का शॉपिंग एक्सपीरियंस बदल गया। पैंटालून के साथ किशोर बियानी फैशन रिटेल के दिग्गज बन गए।
बिग बाज़ार नाम के पीछे का कारण
किशोर ने देखा कि लोग अपनी कुल पॉकेट मनी का केवल 8% कपड़ों पर खर्च कर रहे थे। उन्होंने अब किराने का सामान, स्टेशनरी, भोजन, आभूषण और कपड़े रखने का फैसला किया। उन्होंने कपड़ों से लेकर रसोई के सामान तक सब कुछ एक ही दुकान में रखने का फैसला किया, ताकि लोगों को खरीदारी के लिए अलग-अलग दुकानों में न जाना पड़े। इसी के साथ बिग बाजार का जन्म हुआ। उन्होंने देखा कि औसत भारतीय उपभोक्ता का मनोविज्ञान यह है कि एक आधुनिक और हाई-फाई दिखने वाली दुकान महंगी होती है, इसलिए उन्होंने अपने हाइपरमार्केट का नाम बिग बाजार रखा। ताकि लोग बाजार शब्द सुनकर आसानी से इससे जुड़ सकें। उन्होंने बिग बाजार में बिना टाई और फैशनेबल कपड़े पहने सेल्समैन की जगह सामान्य दिखने वाले सेल्समैन रखे, ताकि लोग उन्हें अपने में से एक समझ सकें और उनसे जुड़ सकें।
सबसे सस्ता, सबसे अच्छा
किशोर बियानी स्थानीय किराना स्टोर से प्रतिस्पर्धा करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सबसे सस्ती कीमतों पर ध्यान केंद्रित किया। हफ़्ते में एक दिन वे सामान पर भारी छूट देते थे। जल्द ही, पूरे देश में बिग बाज़ार के स्टोर खुलने लगे। बिग बाज़ार को बड़ा बनाने के साथ-साथ उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोगों को खरीदारी के लिए अलग-अलग स्टोर पर न जाना पड़े। किशोर बियानी कुछ ऐसा करना चाहते थे जो आम खरीदारी जैसा न हो बल्कि लोगों को खरीदारी का एक नया अनुभव दे।
सेंट्रल मॉल का उद्घाटन
इसी विचार को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 2004 में बेंगलुरु में सेंट्रल मॉल की शुरुआत की। यह मॉल 20,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ था। मॉल में फुटवियर से लेकर होम डेकोर, फूड, ग्रॉसरी, ज्वेलरी, फूड कोट्स, रेस्टोरेंट, पब, मूवी थिएटर सब कुछ था। सेंट्रल तेजी से बढ़ने लगा। किशोर बियानी ने एक अम्ब्रेला कंपनी शुरू की जिसमें हर कोई शामिल हो सकता था। इसका नाम फ्यूचर ग्रुप रखा गया।
फ्यूचर ग्रुप के साथ रिटेल के बादशाह बने किशोर बियानी
किशोर बियानी ने फ्यूचर ग्रुप, बिग बाजार, सेंट्रल मॉल, ईजी डे जैसे कारोबार में अपने पंख फैलाए। बियानी भारतीय रिटेल इंडस्ट्री के बादशाह बन गए। घर बनाने से लेकर घरेलू सामान तक सब कुछ बियानी की कंपनी से जुड़ा था, लेकिन सब कुछ एक जैसा नहीं था। इस साम्राज्य को खड़ा करने के लिए उन्होंने एक बड़ी गलती की, जिसकी अब उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
किशोर बियानी की गलती
किशोर बियानी हर उस व्यवसाय में उतरना चाहते थे जहाँ व्यवसाय और ग्राहक के बीच सीधा लेन-देन हो, लेकिन यह आइडिया उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुआ, बिना किसी प्लानिंग के उन्होंने तेजी से विस्तार करना शुरू कर दिया। उनके पास न तो कोई बैकअप प्लान था और न ही कोई व्यवसाय मुनाफे वाला था। वे लोन के दम पर नए-नए व्यवसायों में विस्तार कर रहे थे, लेकिन लोन चुकाना भूल गए। किशोर बियानी पर 12000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज था। 2005 से उनका पतन शुरू हो गया।
बिग बाज़ार क्यों बंद हुआ?
किशोर बियानी ने देखते ही देखते 13 अपैरल ब्रांड खरीद लिए। उन्होंने सभी यानी कुछ बड़े ब्रांड शुरू किए और बड़े बाजारों में सोना बेचना भी शुरू किया। घरों के निर्माण और जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने होम टाउन ब्रांड शुरू किया। किताबों का डिपो शुरू किया। चाय और समोसे के लिए चमोसा नाम से कियोस्क शुरू किया। कुल मिलाकर परिवार के हर कारोबार में उनकी भागीदारी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने फ्यूचर ग्रुप के साथ मिलकर फाइनेंस से लेकर इंश्योरेंस और वेल्थ मैनेजमेंट तक का कारोबार शुरू किया। इन सबके लिए उन्होंने कर्ज का पहाड़ खड़ा कर दिया। कर्ज के संकट से जूझ रहे फ्यूचर ग्रुप के मालिक किशोर बियानी को अपना सेंट्रल मॉल 476 करोड़ रुपये में बेचना पड़ा।
एक दिन में 30 करोड़ की बिक्री
एक दिन की बिक्री 30 करोड़ रुपये से ज़्यादा तक पहुँच जाती थी, लेकिन 20 साल में कुछ ऐसा हुआ कि देशभर में बिग बाज़ार के स्टोर पर ताले लग गए। एक गलती इतनी बड़ी थी कि बिग बाज़ार बिक गया। नाम और पहचान दोनों बदल गए। रिटेल किंग का खिताब पाने वाले और बिग बाज़ार को इतना बड़ा बनाने वाले किशोर बियानी की एक गलती ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। कभी अरबों में खेलने वाला आज दिवालिया हो गया है।
बिक्री घटी, बिग बाज़ार में सारा सामान बिक गया
मार्च 2019 तक किशोर बियानी कर्ज के पहाड़ पर बैठे थे। उन्हें लगा कि वे बिक्री के दम पर कर्ज को संभाल लेंगे, लेकिन 2008 की मंदी ने बिग बाजार की बिक्री को चौपट कर दिया और बियानी का साम्राज्य भी ढह गया। कर्ज 12000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। डिफॉल्टर बियानी ने अब कर्ज चुकाने के लिए कारोबार बेचना शुरू कर दिया। भारी मन से उन्होंने पैंटालून को आदित्य बिड़ला ग्रुप को 1600 करोड़ रुपये में बेच दिया। हालात ऐसे हो गए कि देशभर में बिग बाजार के स्टोर बंद होने लगे। किशोर बियानी के खिलाफ दिवालिया होने का केस चलाया गया, जो आज तक चल रहा है।
और इस तरह बिग बाज़ार को बेच दिया गया।
किशोर बियानी की कंपनी फ्यूचर ग्रुप लोन चुकाने में विफल रही। बैंकों ने कंपनी के गिरवी रखे शेयर जब्त कर लिए। किशोर बियानी ने बिग बाजार को रिलायंस रिटेल को बेच दिया। अब बिग बाजार एक स्मार्ट बाजार में तब्दील हो चुका है। किशोर बियानी की अपने कारोबार को बढ़ाने की जल्दबाजी, प्लानिंग की कमी, कर्ज की लत और कर्ज प्रबंधन में विफलता के कारण बिग बाजार बंद हो गया।