यशस्वी ने वो कर दिखाया जो क्रिकेट के इतिहास में कोई भी बल्लेबाज नहीं कर सका, तेंदुलकर, कोहली, विव रिचर्ड्स भी उनके करीब नहीं...
ING vs IND, 1st Test: यशस्वी जायसवाल ने वह कर दिखाया है जो क्रिकेट के इतिहास में कोई भी बल्लेबाज नहीं कर पाया। यहां तक की विव रिचर्ड्स, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ जैक्स कैलिस, कुमार संगकारा, विराट कोहली, एबी डिविलियर्स जैसे क्रिकेट के बड़े खिलाड़ी भी।अलग-अलग दौर के बल्लेबाज, अलग-अलग टीमों से जुड़े लेकिन कोई भी जायसवाल की उपलब्धि हासिल करने के करीब भी नहीं पहुंच पाया।
भारत के सलामी बल्लेबाज ने लीड्स के हेडिंग्ले में एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के सीरीज के पहले मैच में अपना पांचवां टेस्ट शतक जड़ा। यह जायसवाल का कुल मिलाकर पाँचवाँ टेस्ट शतक था, इंग्लैंड के खिलाफ़ तीसरा और इंग्लैंड में अपने पहले प्रयास में पहला शतक। इस प्रक्रिया में, जायसवाल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों में अपने पहले टेस्ट में शतक बनाने वाले पहले मेहमान बल्लेबाज़ बन गए।
23 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया (पर्थ) में अपने पहले टेस्ट में 161 रन बनाए थे। शुक्रवार को उन्होंने अपने पहले प्रयास में इंग्लैंड में अपना पहला टेस्ट शतक दर्ज किया।
गौरतलब है कि तेंदुलकर ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के अपने पहले टेस्ट दौरे में शतक लगाया था, लेकिन यह उनके पहले टेस्ट में नहीं था। तेंदुलकर ने इंग्लैंड में अपना पहला शतक वहां अपने दूसरे टेस्ट में लगाया था, जबकि ऑस्ट्रेलिया में उनका पहला शतक एडिलेड में उनके तीसरे प्रयास में आया था।
49वें ओवर में ब्रायडन कार्स के खिलाफ लगातार चौके लगाने के बाद, जायसवाल ने आखिरी गेंद पर एक रन लेकर अपनी उपलब्धि हासिल की। उन्होंने अपनी खुशी छिपाने की कोई कोशिश नहीं की। उन्होंने उछल-कूद की, चीखे-चिल्लाए और फिर कुछ और चिल्लाए, ताकि वहां मौजूद दर्शकों और दुनिया भर से देखने वालों को पता चले कि उन्होंने अब ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में शतक बना लिए हैं।
टेस्ट डेब्यू पर वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक बनाने वाले जायसवाल ने पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में 700 से ज्यादा रन बनाए थे और बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने इंग्लैंड के खिलाफ भी अपने शानदार फॉर्म को जारी रखा।
जायसवाल का शतक ऐसे समय में आया जब विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों के संन्यास के बाद भारत के नए बल्लेबाजी क्रम के विदेशी परिस्थितियों में कैसा प्रदर्शन करने को लेकर गंभीर चिंताएं थीं।