शादी से इनकार पर युवती ने कराया दुष्कर्म का मुकदमा, जेल से बाहर आया तो लगी कांस्टेबल की नौकरी; अब डीएम से लगाई ये गुहार...
प्रयागराज। करियर बनाने के दौरान प्रेम करना कभी-कभी कितना परेशानी में डाल देता है, यह मऊआइमा क्षेत्र के एक गांव के युवक से पूछिए। गांव से लगभग पांच किमी दूर रहने वाली युवती से लगभग तीन वर्ष तक मोहब्बत की। जब शादी की बात आई तो प्रेम का धागा कच्चा पड़ गया। युवक शादी से मुकर गया। इस पर प्रेमिका ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा दिया। युवक जेल चला गया।
जमानत पर रिहा हुआ तो वह चयन पुलिस कांस्टेबल के पद पर हो गया। ज्वाइनिंग में चरित्र प्रमाण पत्र मांगा गया तो युवक ने डीएम से गुहार लगाई। डीएम बोले, दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज होने पर वह कैसे चरित्र का प्रमाण पत्र दे सकते हैं। अब युवक कानूनी सलाह ले रहा है।
विधिवेत्ता उसे एक ही विकल्प दिया कि वह युवती से विवाह कर ले। सरकारी नौकरी में ज्वाइनिंग के पहले चरित्र प्रमाण पत्र देना आवश्यक होता है। यह चरित्र प्रमाण पत्र डीएम की ओर से जारी किया जाता है। किसी के खिलाफ यदि एफआइआर अथवा एनसीआर दर्ज हुआ रहता है तो उसका चरित्र प्रमाण पत्र नहीं बन सकता है।
हां, उस मुकदमे में सुलह अथवा फाइनल रिपोर्ट लगी हो अथवा मुकदमा एक्सपंज हो गया तो ही शासकीय अधिवक्ता की संस्तुति पर डीएम की ओर से चरित्र प्रमाण पत्र जारी हो सकता है। पिछले दिनों पुलिस कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए 24 युवकों का इसी तरह चरित्र प्रमाण पत्र जारी कर डीएम ने उनकी नौकरी बचाई थी।
मंगलवार को भी 22 युवक डीएम के पास पहुंचे थे, जिनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें ही मऊआइमा का युवक भी था। उसका कहना था कि दुष्कर्म का मुकदमा उसके खिलाफ इसलिए दर्ज करा दिया था कि उसने शादी से इन्कार कर दिया था। एफआइआर दर्ज कराने वाली युवती ने बाद में यही बयान दे दिया था, जिसके आधार पर उसका चरित्र प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाए।
डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ ने शासकीय अधिवक्ता से युवक को सलाह लेने को कहा। अधिवक्ता ने युवक को उस युवती से शादी कर लेने का सुझाव दिया है मगर युवती की शादी किसी दूसरे युवक से तय हो गई है।