बिहार के नए 'होम मिनिस्टर' सम्राट चौधरी पर कितने मुकदमे दर्ज? गृह मंत्री बनाए जाने पर क्यों उठे सवाल...
Samrat Choudhary Home Minister: बिहार की नई एनडीए सरकार में विभागों के बंटवारे के बाद सबसे बड़ी सुर्खी जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी, वह है डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय की कमान मिलना। यह पहली बार है जब बीजेपी को बिहार में इतना ताकतवर मंत्रालय मिला है।
नीतीश कुमार, जो दो दशकों से इस विभाग को खुद संभालते रहे, उन्होंने इस बार इसे अपने पास नहीं रखा। ऐसे में अब हर नजर सम्राट चौधरी पर टिकी है कि क्या वे नीतीश के स्थापित मानक को छू भी पाएंगे या नहीं।
गृह मंत्रालय मिला, लेकिन विवाद भी साथ आए
नीतीश कुमार के शासनकाल में 'भयमुक्त प्रशासन' एक पहचान बन गया था। बड़े अपराधियों पर भी पुलिस का शिकंजा कसता था और मुख्यमंत्री सीधे हर बड़ी कार्रवाई पर नजर रखते थे। अब इस सख्त व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्राट चौधरी के हाथ में है। लेकिन उनके गृह मंत्री बनते ही सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस शुरू हो गई कि जिन पर खुद आपराधिक केस दर्ज हों, क्या उन्हें कानून-व्यवस्था की कमान दी जानी चाहिए?
सम्राट चौधरी पर कितने मुकदमे? चुनावी हलफनामे से जानें पूरी लिस्ट
चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर जमकर आरोप लगाए थे और अब वही मुद्दे फिर से हवा पकड़ रहे हैं। उनके 2025 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, सम्राट चौधरी पर इस समय दो आपराधिक मामले लंबित हैं।
● पटना कोतवाली (FIR 516/2023) - IPC की धारा 188, 147, 149, 323, 324, 337, 338, 353
● तारापुर, मुंगेर (FIR 35/2014) - धारा 171F/188
तारापुर वाले केस में आरोप तय हो चुके हैं। हालांकि सम्राट चौधरी ने हलफनामे में साफ लिखा है कि किसी भी केस में वे दोषी साबित नहीं हुए हैं।
गृह मंत्री बनने के बाद सवाल और भी बड़े हो गए
बिहार की राजनीति में सम्राट चौधरी को लेकर दो तरह की राय है। पहली-वे बीजेपी के आक्रामक और मजबूत चेहरे के रूप में देखे जाते हैं। दूसरी-उनकी छवि और केसों को लेकर विपक्ष लगातार निशाना साधता रहा है।
अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या वे नीतीश कुमार की तरह अपराध पर सख्ती दिखा पाएंगे? क्या वे 'सुशासन' के ब्रांड को बनाए रख पाएंगे या उन पर लगे आरोप बार-बार उनकी राह में बाधा बनेंगे?नीतीश के मॉडल की छाया से बाहर कैसे निकलेंगे सम्राट?
सम्राट चौधरी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे नीतीश के 20 साल पुराने 'कानून-व्यवस्था मॉडल' से खुद को अलग साबित कर पाएं। अगर वे उसी स्टाइल में काम करते हैं, तो लोग कहेंगे-"सुशासन तो नीतीश का ही है, सम्राट सिर्फ चला रहे हैं।"
और अगर वे नया मॉडल लाते हैं और कहीं कमी रह गई, तो फिर आवाज उठेगी, "नीतीश के समय ऐसा नहीं होता था।" यानी सम्राट के लिए यह पोस्ट दोधारी तलवार है। अब देखना यह है कि क्या वे विवादों को पीछे छोड़कर सच में एक मजबूत गृह मंत्री के रूप में उभर पाते हैं या नहीं।