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अंपायरों ने मिल लॉर्ड्स टेस्ट में भारत के साथ की बेईमानी...10 के बजाय 30 ओवर पुरानी गेंद दी, मैच रेफरी ने भी नहीं सुनी बात...

अंपायरों ने मिल लॉर्ड्स टेस्ट में भारत के साथ की बेईमानी...10 के बजाय 30 ओवर पुरानी गेंद दी, मैच रेफरी ने भी नहीं सुनी बात...

स्पोर्ट्स न्यूज डेस्क। रिपोर्ट..(ए.के.केसरी)। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान गेंद बदलने के प्रोटोकॉल से भारतीय टीम प्रबंधन खुश नहीं है। उसने मैच रेफरी को अपनी चिंता बताई हैं। प्रबंधन का यह भी मानना है कि इस महीने की शुरुआत में लॉर्ड्स में खेले गए सीरीज के महत्वपूर्ण तीसरे टेस्ट मैच की शुरुआत में गेंद चुनने के मामले में बेईमानी हुई। 

इंडियन एक्सप्रेस मीडिया को पता चला है कि लॉर्ड्स में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान, जब दूसरी नई गेंद 10 ओवर के बाद खराब हो गई तो नई गेंद 30-35 ओवर पुरानी गेंद मिली। प्रोटोकॉल के अनुसार नई गेंद मूल गेंद जितनी ही पुरानी होनी चाहिए, लेकिन पता चला है कि अंपायर्स ने टीम को बताया कि स्टॉक में कोई भी गेंद 10 ओवर पुरानी नहीं थी।

भारत के साथ हुई बेईमानी

भारतीय टीम का मानना है कि चूंकि उन्हें पहले 10 ओवरों में स्विंग और सीम मूवमेंट वाली सख्त गेंद की जगह एक नरम और पुरानी गेंद मिली थी, इसलिए टेस्ट में उन्हें नुकसान हुआ। इंग्लैंड ने अंततः 22 रनों से जीत हासिल कर सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। रोमांचक चौथा टेस्ट ड्रॉ पर समाप्त हुआ और आखिरी मैच आज गुरुवार (31 जुलाई) से शुरू हुआ है।

वो 10 ओवर पुरानी गेंद नहीं थी

भारतीय टीम के एक अधिकारी ने बताया, “लॉर्ड्स में, लगभग 10 ओवर के बाद, ड्यूक्स गेंद अपना आकार खो बैठी, जैसा कि इस सीरीज में अक्सर होता रहा है। गेंद दोनों रिंग से नहीं गुजर पाई। हालांकि, अंपायर्स के पास 10 ओवर पुरानी गेंद नहीं थी, इसलिए मैच के एक अहम मोड़ पर भारतीय टीम को 30-35 ओवर पुरानी गेंद मिली।इसके बाद खेल कैसे बदला, यह जानने के लिए स्कोरबोर्ड देखें। गेंदबाजों की स्विंग कम हो गई और इंग्लैंड ने आसानी से रन बना लिए।”

नियम को है बदलने की जरूरत

काफी पुरानी गेंद मिलने पर भारतीय टीम प्रबंधन ने मैच रेफरी से अपील की कि उन्हें पुरानी गेंद से खेलने की अनुमति दी जाए, जो खराब हो चुकी थी। तभी उन्हें रूल बुक दिखाई गई। उन्होंने कहा, “जब आप गेंद बदलने के लिए कहते हैं, तो आपको यह नहीं बताया जाता कि रिप्लेसमेंट बॉल कितनी पुरानी होगी। लॉर्ड्स में हमें यह नहीं बताया गया था कि जो रिप्लेसमेंट आएगी वह 30 से 35 ओवर पुरानी होगी। अगर हमें बताया जाता तो हम 10 ओवर तक इस्तेमाल की गई आउट ऑफ शेप गेंद से ही खेलते रहते। आईसीसी को हस्तक्षेप करना चाहिए। इस नियम को बदलने की जरूरत है।”

गेंद बदली और टेस्ट का रुख बदल गया

लॉर्ड्स में, गेंद के आउट ऑफ शेप होने से पहले, भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह 14 गेंदों में तीन विकेट झटककर अपनी लय में आ गए थे। बुमराह ने पहले इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स को ऐसी गेंद पर बोल्ड किया जो बल्ले और पैड के बीच से निकली। इसके बाद, जो रूट एक तेज अंदर आती हुई गेंद को समझ नहीं पाए और उनके बल्ले का किनारा लेकर स्टंप उड़ गए।

स्विंग और सीम में अंतर

रूट के बाद, ऑलराउंडर क्रिस वोक्स ने अपनी पहली ही गेंद पर विकेटकीपर को कैच दे बैठे। यह गेंद स्विंग करती हुई टप्पा खाने के बाद सीधी होकर विकेटकीपर के पास पहुंच गई। इसके बाद ही गेंद बदली और टेस्ट का रुख बदल गया।ईएसपीएनक्रिकइन्फो.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, “दूसरी नई गेंद… औसतन 1.869 डिग्री स्विंग हुई और 0.579 डिग्री सीम हुई। रिप्लेसमेंट गेंद औसतन 0.855 डिग्री स्विंग हुई और 0.594 डिग्री सीम हुई।”

टर्निंग पॉइंट

लगातार विकेट गिरने के नरम गेंद से भारतीयों गेंदबाजों को संघर्ष करना पड़ा। अगले दो बल्लेबाज विकेटकीपर जेमी स्मिथ और ऑलराउंडर ब्रायडन कार्स ने आसानी से रन बनाए क्योंकि रिप्लेसमेंट गेंद स्विंग नहीं कर रही थी। यह मैच बदलने वाली साझेदारी रही। स्मिथ ने 56 गेंदों में 51 और कार्स ने 83 गेंदों में 56 रन बनाए। इससे दोनों ने स्कोर सात विकेट पर 271 से आठ विकेट पर 355 रन तक पहुंचाया। भारत यह मैच 22 रन से हारा। ऐसे में यह साझेदारी मजबूत साबित हुई।

बुमराह की नाराजगी

दूसरे दिन के अंत में बुमराह की नाराजगी साफ दिख रही थी, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा।उन्होंने कहा, “गेंद बदलती है, मेरा उस पर कोई नियंत्रण नहीं है। जाहिर है मैं पैसे नहीं गंवाना चाहता क्योंकि मैं बहुत मेहनत करता हूं और काफी ओवर खेलता हूं। इसलिए, मैं कोई विवादास्पद बयान नहीं देना चाहता और अपनी मैच फीस नहीं कटवाना चाहता।”

गेंद चुनने की प्रक्रिया पर विचार करने की आवश्यकता

भारतीय टीम के अधिकारी के अनुसार हर टेस्ट के लिए गेंद चुनने की प्रक्रिया पर नए सिरे से विचार करने की तत्काल आवश्यकता है। मेजबान देश का चौथा अंपायर गेंदों का एक डिब्बा लेकर ड्रेसिंग रूम में आता है और टीम से दो गेंद चुनने को कहता है, जिनसे वे टेस्ट के दौरान गेंदबाजी करेंगे। अधिकारी ने कहा, ” टेस्ट का न्यूट्रल मुख्य निर्णायक मैच रेफरी मौजूद नहीं होता।”

गेंद बदलने का खेल

मौजूदा सीरीज के दौरान, कई बार ऐसा हुआ है कि चौथा अंपायर भारतीय ड्रेसिंग रूम में एक बॉक्स लेकर आया, जिसमें सिर्फ एक गेंद गहरे लाल रंग की थी और बाकी गेंदें लाल थीं। ऐसा कहा जाता है कि गहरे रंग की गेंदें ज्यादा स्विंग करती हैं। अधिकारी ने कहा, “मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा, लेकिन जब हमने गहरे रंग की गेंद मांगी, तो हमें बताया गया कि इंग्लैंड ने अपनी दूसरी नई गेंद के रूप में यही गेंद चुनी है।”

घरेलू टीम आसानी से हेरफेर कर सकती है

अधाकारी ने आगे कहा कि घरेलू टीम इस प्रणाली में आसानी से हेरफेर कर सकती है क्योंकि इसमें मैच रेफरी की कोई भूमिका नहीं होती। उन्होंने कहा, “सही बात यह होगी कि गेंद का चयन मैच रेफरी के कमरे में हो, न कि ड्रेसिंग रूम में, जहां स्थानीय अंपायर ही एकमात्र अधिकारी के रूप में मौजूद होता है।”