पहली बार 90 के पार रुपया, सरकार की ओर से कहा गया-टेंशन की कोई बात नहीं...
भारतीय करेंसी रुपया ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 90 रुपये के स्तर को पार किया है। हालांकि, इससे सरकार को टेंशन नहीं है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी.अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का स्तर 90 के पार होने के बावजूद सरकार इस गिरावट को लेकर चिंतित नहीं है। इसके साथ ही नागेश्वरन ने कहा कि रुपये में गिरावट मुद्रास्फीति या निर्यात पर प्रतिकूल असर नहीं डाल रही।
उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर होने से निर्यात को समर्थन मिलता है, लेकिन आयात महंगा हो जाता है। लागत बढ़ाने से पेट्रोलियम, इलेक्ट्रॉनिक्स और आभूषण जैसे आयात-निर्भर क्षेत्रों में कीमतों पर दबाव बन सकता है। हालांकि, सीईए ने उम्मीद जताई कि डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति में अगले साल सुधार आएगा।
ऑल टाइम लो पर रुपया
बुधवार को रुपया पहली बार 90 प्रति अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार करते हुए 90.21 के भाव पर बंद हुआ। इस गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें मुख्य कारण रहीं। अंतरबैंक विदेशी मद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने कारोबार की शुरुआत 89.96 के स्तर पर की। कारोबार के दौरान यह फिसलकर रिकॉर्ड निचले स्तर 90.30 प्रति डॉलर तक आ गया। कारोबार के अंत में रुपया 90.21 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 25 पैसे कम है। मंगलवार को भी रुपये में 43 पैसे की कमजोरी आई थी और वह 89.96 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि रुपया 90.30 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं और कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की घोषणा को लेकर अनिश्चितता ने भी रुपये को कमजोर किया। हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर सूचकांक ने गिरावट को सीमित रखने में मदद की। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में रुपये में हल्का नकारात्मक रुख रह सकता है, लेकिन दिसंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती और कमजोर डॉलर से इसे कुछ समर्थन मिल सकता है। चौधरी ने कहा कि डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 89.80 से 90.50 के बीच रहने की संभावना है। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि आरबीआई ने रुपये को आसानी से 90 के पार जाने दिया और यह 90.30 तक गिर गया। उसके बाद ही केंद्रीय बैंक ने मुद्रा बाजार में दखल दिया।
एफडीआई पर पॉजिटिव संकेत
सीईए नागेश्वरन ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर सकारात्मक संकेत देते हुए कहा कि इस साल भारत का एफडीआई आंकड़ा 100 अरब डॉलर से अधिक रह सकता है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में कुल एफडीआई लगभग 50 अरब डॉलर रहा है जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 42.3 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल एफडीआई लगभग 81.04 अरब डॉलर रहा, जो सालाना आधार पर 14 प्रतिशत अधिक था। नागेश्वरन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद एफडीआई का स्वरूप बदल गया है। कई देश अब स्थानीय स्तर पर उत्पादन पर ध्यान दे रहे हैं जिससे कंपनियां अब अपने देश के भीतर निवेश करने लगी हैं।