विश्व डाकघर दिवस :: अब हाईटेक हुआ डाकघर, एक ही छत के नीचे आधार-पासपोर्ट से लेकर 76 सेवाएं एक साथ मिल रही...
आज विश्व डाक दिवस है। डाक की उपयोगिता अब केवल चिट्ठियों तक ही सीमित नहीं रह गई है बल्कि डाक विभाग बैंकिंग, बीमा, निवेश, आधार कार्ड एवं विभिन्न सीएससी सेवाएं ग्राहकों को उपलब्ध करा रहा है। पासपोर्ट, निर्यात से लेकर डाक विभाग में एक ही छत के नीचे करीब 76 सेवाएं ग्राहकों को दी जा रही हैं।
इसी महीने से डाक विभाग की एटीएम सेवा अपग्रेड होने के साथ फिर से शुरू हो जाएगी। मेरठ में पासपोर्ट सेवा का विस्तार होने जा रहा है। बस शहर में दरकार है तो पिछले दो साल से बंद पड़े घंटाघर स्थित प्रधान डाकघर शहर के चालू होने की।
कोरोना काल में दवाई, पीपीई किट, सैनेटाइजर लोगों तक पहुंचाने वाला डाक विभाग इन दिनों कोरियर की चुनौतियों के बीच डाक सेवा को बचाने की कवायद में जुटा है। डाक विभाग की पहले 2016 में तार सेवा और अब एक अक्तूबर 2025 से रजिस्ट्री सेवा बंद कर दी। रजिस्ट्री को स्पीड पोस्ट में समाहित कर दिया गया।
अब निर्यात केंद्र के जरिए यूरोप, अफ्रीका से लेकर दुनियाभर के विभिन्न देशों तक डाक विभाग पार्सल पहुंचा रहा है। सेवानिवृत्त डाक अफसर रतन सिंह कहते हैं कि डाक विभाग से जुड़े यादगार पल और भारतीय डाक विभाग की ऐतिहासिक बातों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जिलेभर में 1100 डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक जिले में डाक विभाग में करीब 1100 डाकिये एवं ग्रामीण डाक सेवक कार्यरत हैं। वर्तमान व्यवस्था में भी डाक विभाग ही सूदूर क्षेत्रों में पहुंचने का सुगम माध्यम है।
कोरोना काल में डाकियों ने एईपीएस सुविधा के माध्यम से घर बैठे नकदी की सुविधा उपलब्ध कराई। डाकिये को डाक विभाग की रीढ़ माना जाता है। भले ही साइकिल के बजाए अब डाककर्मी बाइक से डाक वितरण का कार्य करने लगे, लेकिन उन्हें आज भी साइकिल भत्ते के रूप में 180 रुपये मिलते है। ग्रामीण डाक सेवकों को भत्ता नहीं मिलता।
यह भी जानिये
अंग्रेजी हुकूमत ने 1854 में ही भारत में रेल डाक सेवा की शुरुआत की थी। इसकी स्थापना लॉर्ड डलहौजी के शासनकाल में हुई थी। देश में डाक और तार (टेलीग्राम) की शुरुआत दो अलग-अलग विभाग के तौर पर हुई थी। सामानांतर रूप से ही इनका विकास हुआ। 1914 में हुए प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इन दोनों विभागों का विलय कर दिया गया। 1877 में वीपीपी और पार्सल सेवा शुरू हुई थी। 1879 में पोस्टकार्ड की शुरुआत हुई थी। टेलीफोन और मोबाइल के आने से तार सेवा की जरूरत खत्म हुई तो 2016 में इसे बंद कर दिया गया था।
मेरठ के डाक विभाग पर एक नजर 162 शाखा डाकघर 59 उप डाकघर 02 प्रधान डाकघर (मेरठ शहर और कैंट) 600 डाककर्मी, 500 ग्रामीण डाक सेवक 21 आधार सेंटर कोट्स-फोटो डाक विभाग ने समय के साथ खुद को अपेडट रखा। डाक सेवाओं में अतुलनीय परिवर्तन हुआ है। अब सिर्फ चिट्ठी वितरण का ही काम नहीं बल्कि, कार्य क्षेत्र और व्यापक हो चुका है। अब आधार कार्ड से लेकर डिजिटल पेमेंट, बीमा, निवेश, रेलवे टिकट बुकिंग व अन्य विभिन्न ऐसी सेवाएं हैं जो डाकघरों से ग्राहकों को दी जा रही है।
जितेंद्र सिंह, प्रवर अधीक्षक डाकघर डाक विभाग की सेवाएं में इजाफा हुआ ।।
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान डाककर्मियों ने दवाई, पीपीई किट, सैनिटाइजर लोगों तक पहुंचाया गया। विश्व डाक दिवस एवं नेशनल पोस्टल वीक पोस्टर प्रदर्शनी, डिजिटल प्रदर्शनी, पौधरोपण, पैदल मार्च, जागरूकता रैली का आयोजन आज डाक विभाग की ओर से किया जाएगा।
कृष्ण चंद्र, सीनियर पोस्ट मास्टर प्रधान डाकघर मेरठ शहर ।।
एक अक्टूबर 1854 को डाक विभाग की स्थापना हुई थी। वक्त के साथ डाक विभाग ने खुद को ढाला और आधुनिकता के साथ भी तालमेल बिठाया। उस वक्त ये महज पत्र को भेजने का माध्यम था मगर आज डाक विभाग बैंकिंग, बीमा, पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार आदि बनवाने की सुविधा भी शहर से ग्रामीण इलाकों तक पहुंचा रहा।
आरसी राना, सीनियर पोस्टमास्टर प्रधान डाकघर कैंट, मेरठ यूपी।।