Chhath Puja Nahay Khay 2025: आज से छठ पूजा शुरू, नहाय-खाय पर शुभ संयोग में करें पूजा, जानें-विधि और नियम...
Chhath Puja 2025: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ के महापर्व की शुरुआत हो जाती है। आज से ये चार दिनों का महापर्व शुरू हो चुका है। आज नहाय खाय है। इसके बाद खरना होगा। वहीं षष्ठी तिथि यानी तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। अंतिम यानी चौथे दिन उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला ये महापर्व 28 अक्टूबर को संपन्न हो जाएगा।
आज नहाय-खाय के दिन दो शुभ योग निर्मित हो रहे हैं। दोनों योग में सूर्य देव की पूजा और साधना करने से व्रती कई गुना फल प्राप्त करेगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि आज कौनसे दो शुभ योग बन रहे हैं? साथ ही जानते हैं छठ के महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय की विधि और नियम...
'नहाय-खाय' का मतलब है स्नान करके भोजन करना. व्रती सूर्योदय से पहले गंगा या किसी पवित्र जल स्रोत में स्नान करते हैं। अगर बाहर जाना संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान किया जाता है। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लिया जाता है।
इस दिन पूरे घर और खासकर रसोई की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रसाद बनाने के लिए नए या पूरी तरह साफ बर्तनों का ही उपयोग होता है। खाना मिट्टी या कांसे के बर्तनों में बनता है और लकड़ी या मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है।
नहाय-खाय के दिन व्रती केवल एक बार सात्विक भोजन करते हैं, जिसे 'कद्दू-भात' या 'लौकी-भात' कहा जाता है। इसमें अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू या लौकी की सब्जी होती है। यह भोजन बिना लहसुन-प्याज, शुद्ध घी या सरसों के तेल और सेंधा नमक में बनाया जाता है।
कद्दू में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह शरीर को हाइड्रेट करता है और चार दिन के कठिन व्रत के लिए तैयार करता है। लोक मान्यताओं में कद्दू को पवित्र फल माना गया है, इसलिए इसका प्रसाद छठ पूजा में विशेष महत्व रखता है।
प्रसाद पहले सूर्य देव और देवी अन्नपूर्णा को अर्पित किया जाता है।
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो न केवल शरीर बल्कि मन को भी व्रत के लिए तैयार करता है। यह दिन श्रद्धा, शुद्धता और अनुशासन का प्रतीक है।
आज बन रहे ये दो शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी आज शोभन और रवि योग का दुर्लभ संयोग बनता दिख रहा है। रवि योग का संयोग सुबह से है। वहीं शोभन योग का संयोग पूरी रात तक है। जो भी व्रती इन दोनों योग में स्नान-ध्यान करके पूजा करेगा उसके सारे मनोरथ पूरे होंगे।
नहाय-खाय की विधि
* नहाय-खाय के दिनगंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करें।
* अगर कोई नदी घर के पास न हो तो आप नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
* इस दिन घर के पूजा स्थल के साथ ही अपने घर की रसोई को भी स्वच्छ रखें।
* इसके बाद पूजा स्थल पर धूप-दीप जलाकर छठी माता का ध्यान करें।
व्रत का संकल्प ले
संकल्प लेते समय ॐ अद्य अमुकगोत्रोअमुकनामाहं मम सर्व, पापनक्षयपूर्वकशरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये मंत्र का जाप करें।
छठ महापर्व के नियम
छठ का व्रत रखने वाले स्वच्छता का ध्यान रखें. व्रत के दौरान गलती से भी अन्न और जल ग्रहण नहीं करें। व्रत के पहले दिन के भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल ही करें। चार दिनों के व्रत के दौरान वाद-विवाद करने से बचें।
छठ पूजा का महत्व और लाभ
संतान सुख: जिन परिवारों में संतान नहीं है या संतान संबंधी कोई समस्या है, उनके लिए यह व्रत बहुत फायदेमंद माना जाता है।
स्वास्थ्य लाभ: अगर किसी को कुष्ठ रोग या पाचन संबंधी समस्या है, तो यह व्रत रखने से लाभ होता है।
कुंडली में सूर्य दोष: यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर है, तो छठ पूजा का व्रत रखने से सूर्य की स्थिति मजबूत होतू है।