भैया तीखा है या मीठा..अच्छा 'बघेल' जी ! पटना में स्मृति ईरानी ने उठाया गोलगप्पे का लुत्फ...
पटना, ब्यूरो। बिहार विधानसभा चुनाव के मैदान में धुंआधार प्रचार करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी को आखिरकार कुछ फुर्सत के पल मिले। राजनीतिक आपाधापी से दूर वो पटना की सड़कों पर एक आम नागरिक की तरह दिखाई दीं।
मौका था जब उन्होंने चुनाव की थकान मिटाने के लिए फेमस स्ट्रीट फूड 'पानी पूरी' या 'गोलगप्पे' खाने का फैसला किया। स्मृति ईरानी को देखकर लगा कि उन्हें जनता के बीच घुल-मिलकर रहने में कोई संकोच नहीं है। उनके साथ बीजेपी नेता संजय मयूख और दानिश इकबाल भी इस 'गोलगप्पे पार्टी' का हिस्सा बने।
गोलगप्पे के ठेले पर स्मृति ईरानी
बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार की गहमागहमी के बीच स्मृति ईरानी ने गोलगप्पे का लुत्फ उठाया। गोलगप्पे (पटना में जिसे फुचका भी कहा जाता है) का स्वाद चखा। बिना किसी विशेष प्रोटोकॉल के वो ठेले पर खड़ी होकर पानी पूरी खाती हुई दिखीं। पटना में बीजेपी ऑफिस कैंपस में गोलगप्पा वाला दिखा तो स्मृति खुद को रोक नहीं पाईं और पानी पूरी को एनजॉए किया।
स्मृति का गोलगप्पा रिफ्रेशमेंट
पूरे बिहार में भाजपा के लिए लगातार रैलियां और जनसभाएं करने के बाद स्मृति ईरानी के लिए ये पल यकीनन आरामदेह रहे होंगे। उन्होंने चुनाव की गहमागहमी से मुक्त होकर आम आदमी के सबसे पसंदीदा व्यंजनों में से एक पानी पूरी का स्वाद लिया। उनके चेहरे पर राजनीतिक तनाव की जगह संतुष्टि और खुशी साफ झलक रही थी।
गोलगप्पे के स्वाद में सियासी सवाल
गोलगप्पे खाते समय स्मृति ईरानी ने ठेले वाले से पूछा, 'भैया, तीखा है या मीठा? मुझे हल्का मीठा दीजिए।' उनका ये सवाल बिहार की मौजूदा राजनीतिक कड़वाहट के संदर्भ में देखा जाने लगा। क्या बीजेपी अब 'कड़वी' बयानबाजी छोड़कर 'मीठी' और समावेशी राजनीति की राह पर चल रही है? उनके साथ मौजूद संजय मयूख भी इस हल्के-फुल्के पल का आनंद लेते नजर आए।
ठेले वाले का 'बघेल' कनेक्शन
इस चटपटी कहानी में असली 'ट्विस्ट' तब आया जब पता चला कि गोलगप्पे बेचने वाला मध्य प्रदेश का रहने वाला निकला और उसका सरनेम 'बघेल' था। ये सुनते ही स्मृति ईरानी मुस्कुराए बिना नहीं रह सकीं और मजाकिया लहजे में कहा, 'अरे! बघेल जी, नेताजी को थोड़ा मीठा खिलाइए।' गुजरात की राजनीति में 'बघेल' सरनेम की अहमियत है, इसे स्मृति ईरानी बखूबी समझती हैं।