10000000000 रुपये का क्रिप्टो फ्रॉड... CBI की चार्जशीट के लपेटे में 'चीनी दिमाग', अब हुआ भारत में बड़ा एक्शन...
नई दिल्ली। सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (CBI) ने लगभग ₹1,000 करोड़ के बड़े क्रिप्टो निवेश घोटाले में 30 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इन आरोपियों में दो चीनी नागरिक-वान जुन और ली आनमिंग-भी शामिल हैं। CBI के अनुसार, आरोपियों ने 'HPZ Tokens' नाम का एक फर्जी मोबाइल ऐप लॉन्च किया और लोगों को गैर-मौजूद बिटकॉइन-माइनिंग मशीनों में निवेश करने के लिए उकसाया। निवेशकों को बेहद ऊंचे मुनाफे का लालच दिया गया था।
यह घोटाला Shigoo Technology Pvt Ltd के माध्यम से चलाया जा रहा था, जिसे चीनी नागरिकों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था। वान जुन, जो Jilian Consultants India Pvt Ltd का निदेशक है, ने अपने भारतीय सहयोगी डोर्ट्से की मदद से कई शेल कंपनियां बनाई थीं। गिरोह विदेश से संचालित हो रहा था और कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान तेजी से सक्रिय हुआ।
कुछ ही महीनों में 150 से अधिक बैंक खातों में रकम जमा की गई और उन्हें शेल कंपनियों के जरिए तेजी से घुमाकर धोया गया। जुटाई गई राशि को बाद में क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेज दिया गया। गिरोह ने भारत की नई पेमेंट एग्रीगेशन प्रणाली का दुरुपयोग कर रकम की वसूली और आंशिक भुगतान करके निवेशकों का भरोसा जीता।
CBI की जांच में सामने आया कि यह घोटाला एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबरक्राइम नेटवर्क का हिस्सा है। यही नेटवर्क कोविड के बाद भारत में उभरी कई ऑनलाइन ठगी-जैसे फर्जी लोन ऐप, नकली निवेश और ऑनलाइन नौकरी के झांसे-के लिए भी जिम्मेदार था। चार्जशीट में 27 व्यक्तियों और तीन कंपनियों के नाम शामिल किए गए हैं। इस गैंग के अन्य सदस्यों की खोज और जांच अभी भी जारी है।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले में मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। ED ने अब तक ₹91.6 करोड़ विभिन्न बैंक खातों में फ्रीज़ किए हैं और तीन बैंकों तथा पेमेंट गेटवे के ठिकानों पर तलाशी ली है, जिससे बड़े पैमाने पर साजिश के सबूत मिले हैं।