रास्ता किसी के बाप का है क्या... आखिर किस पर भड़के 104 एनकाउंटर करने वाले आजमगढ़ के SSP डॉक्टर अनिल कुमार...
आजमगढ़। महज आठ साल की सेवा में लगभग 104 एनकाउंटर करने वाले आजमगढ़ जिले के तेज तर्रार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अक्सर चर्चा में रहते हैं। बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे गैंग को महज चार घंटे के अंदर ढेर करने वाले अनिल कुमार एक बार फिर से मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं।दरअसल, यह मामला यूपी के आजमगढ़ जिले का है, जहां पर अपनी मांगों को लेकर सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे कोटेदारों को सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए नजर आ रहे हैं।
वायरल वीडियो में पुलिस अधीक्षक कह रहे हैं कि " रास्ता क्यों रोका, यह रास्ता किसी के बाप का है क्या…. किसी को भी रोड को जाम कर आवागमन बाधित करने का अधिकार नहीं है और ऐसे मामलों में सख्त कार का प्रावधान है। इस पूरे घटनाक्रम का किसी ने वीडियो बना लिया और वीडियो बनकर इसे इंटरनेट पर शेयर कर दिया। जिससे देखते ही देखते यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया।
ये है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, कोटेदारों का एक समूह भारी संख्या में कमीशन को बढ़ाने सहित अपने अन्य प्रमुख मांगों को लेकर जिलाधिकारी आजमगढ़ को एक ज्ञापन देने जा रहे थे। कोटेदारों की संख्या अधिक होने के कारण रास्ते पर पूरी तरह जाम की स्थिति हो गई थी। जिसके चलते दोनों तरफ से आवागमन बाधित हो गया। इसी दौरान आजमगढ़ जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाक्टर अनिल कुमार भी उधर से अपने कार्यालय को जा रहे थे। तभी भीड़ और जाम को देखकर वे वहां पर पहुंच गए। उन्होंने मौजूद कोटेदारों को सख़्त लहजे में कानून का पाठ पढ़ाया। साथ ही उन्हें यह हिदायत भी दी कि अगर आगे से कोई इस प्रकार की हरकत होगी जिससे आमजनमानस को कोई परेशानी होगी या फिर कानून को हाथ में लेने जा काम होगा तो पूरे घटनाक्रम का वीडियोग्राफी कराके मामले में मुकदमा दर दर्ज कर विधिक कार्रवाई की जाएगी वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए जब मीडिया ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाक्टर अनिल कुमार से बात की तो उन्होंने मामले को सत्य बताया।
कौन हैं अनिल कुमार
राजस्थान के झुंझनूं जिले के अलसिसर की रामोजी की ढाणी के निवासी डॉक्टर अनिल कुमार उत्तर प्रदेश के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। अनिल कुमार बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेज थे। वर्ष 2005 में राजस्थान के जोधपुर के सम्पूर्णानन्द मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद अनिल कुमार ने कुछ वर्षों तक डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं भी दीं है। सिविल सेवा परीक्षा को धेय मानकर इन्होंने वर्ष 2009 में आईआरटीएस यानी इंडियन रेलवे ट्रैफिक की परीक्षा पास कर ली। लेकिन भारतीय पुलिस सेवा में विशेष रुचि होने के कारण इन्होंने वर्ष 2016 में यूपीएससी पास कर भारतीय पुलिस सेवा को जॉइन कर लिया।
गृह मंत्रालय से भी सम्मान
बिकरू कांड के आरोपियों को महज चार घंटे के अंदर ढेर करने का मामला हो या 2018 नोएडा में व्यापारी से 625 किलो चांदी लूट का मामला हो। वाराणसी के कैंट थाने के अंतर्गत डबल मर्डर का मामला हो, या फिर प्रधानमंत्री मोदी के सुरक्षा की बात हो। अनिल कुमार की धाक पुलिसिंग में हर जगह मजबूत देखने को मिली। पुलिसिंग में बेहतर प्रदर्शन को लेकर अनिल कुमार डीजीपी के गोल्ड और सिल्वर मेडल से भी सम्मानित रह चुके हैं। अनिल कुमार को आठ साल की बच्ची के मर्डर के मामले को सुलझाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय से भी सम्मान मिला है।