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स्मृतियों में सिनेमा: 2025 में जिन सितारों को भारतीय सिनेमा ने खोया, उन्हें जानिए...

स्मृतियों में सिनेमा: 2025 में जिन सितारों को भारतीय सिनेमा ने खोया, उन्हें जानिए...

साल 2025 भारतीय सिनेमा के लिए एक भावनात्मक और अपूरणीय क्षति लेकर आया। यह वह वर्ष रहा जब फिल्मी पर्दे पर अपनी चमक बिखेरने वाले कई दिग्गज कलाकार हमेशा के लिए हमसे विदा हो गए। वे भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी अदाकारी, आवाज़ और किरदार भारतीय सिनेमा की स्मृतियों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे। 

2025 में जिन कलाकारों को हमने खोया, वे सिनेमा के उस दौर का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने बदलते भारत की चिंताओं, सपनों और संवेदनाओं को पर्दे पर उतारा।

सुपर स्टार हीमैन धर्मेंद्र

हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय और करिश्माई सितारों में शुमार धर्मेंद्र का निधन 24 नवंबर को, अपने 90वें जन्मदिन से कुछ ही दिन पहले हुआ। "शोले", "अनुपमा" और "चुपके चुपके" जैसी कालजयी फिल्मों से उन्होंने दर्शकों के दिलों में अमिट जगह बनाई। एक महीने से अधिक समय तक अस्पताल में रहने के बाद उनका जाना हिंदी सिनेमा के एक पूरे युग का अंत माना गया। दर्शक उन्हें आख़िरी बार श्रीराम राघवन की फिल्म इक्कीस में देख सकेंगे, जो 1 जनवरी 2026 को रिलीज़ हो रही है।

भारत कुमार मनोज कुमार

देशभक्ति सिनेमा को नई पहचान देने वाले मनोज कुमार का निधन 4 अप्रैल को 87 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद हुआ। "उपकार", "पूरब और पश्चिम" और "क्रांति" जैसी फिल्मों से उन्होंने राष्ट्रभाव को सिनेमा की मुख्यधारा में स्थापित किया। धर्मेंद्र के करीबी मित्र रहे मनोज कुमार ने कभी उन्हें अभिनय छोड़ने से रोका था-यह दोस्ती सिनेमा के इतिहास की अनकही कहानियों में दर्ज है।

हास्य अभिनेता असरानी

जिस साल "शोले" को रिलीज़ हुए 50 साल पूरे हुए, उसी साल फिल्म ने अपने दो अहम सितारे खो दिए-धर्मेंद्र और असरानी। 84 वर्ष की उम्र में असरानी का निधन हुआ। "शोले" में जेलर की भूमिका हो या "चुपके चुपके", "अभिमान" और "बातों बातों में" जैसे किरदार-उन्होंने 300 से ज़्यादा फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी।

ओल्ड लेडी स्टार कामिनी कौशल

हिंदी सिनेमा की शुरुआती और शिक्षित अभिनेत्रियों में गिनी जाने वाली कामिनी कौशल का निधन 14 नवंबर को 98 वर्ष की आयु में हुआ। दिलीप कुमार के साथ "शहीद", "नदिया के पार" और "शबनम" में उनके अभिनय को आज भी याद किया जाता है। 1946 की फिल्म "नीचा नगर" से करियर शुरू करने वाली कामिनी कौशल लेखन और कठपुतली कला में भी रुचि रखती थीं।

                          ज़ुबीन गर्ग

असम के सांस्कृतिक प्रतीक और लोकप्रिय गायक ज़ुबीन गर्ग का 52 वर्ष की उम्र में अचानक निधन पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए बड़ा सदमा रहा। 19 सितंबर को सिंगापुर में समुद्र में तैरते समय उनकी मृत्यु हुई। असम में उनके अंतिम संस्कार में लाखों लोग शामिल हुए, जो उनकी लोकप्रियता और प्रभाव का प्रमाण था।

हास्य अभिनेता सतीश शाह

"जाने भी दो यारों" से लेकर टीवी के लोकप्रिय शो "साराभाई वर्सेज़ साराभाई" तक, सतीश शाह हर पीढ़ी के दर्शकों के चहेते रहे। 25 अक्टूबर को किडनी फेल्योर के कारण 74 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। "मैं हूं ना" में प्रोफेसर रसाई के रूप में भी उन्हें खूब सराहा गया।

बी. सरोजा देवी

तमिल, तेलुगु और कन्नड़ सिनेमा की महान अभिनेत्री बी. सरोजा देवी अपने सशक्त स्क्रीन प्रेज़ेंस के लिए जानी जाती थीं। "पासामलार", "कल्याण परिशु", "एंगा वीट्टू पिल्लई" जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हें दक्षिण भारतीय सिनेमा का अमर चेहरा बना दिया। उन्होंने एमजीआर के साथ 20 से अधिक फिल्मों में काम किया।

संध्या शांताराम

हिंदी और मराठी सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री संध्या शांताराम का अक्टूबर में 94 वर्ष की आयु में निधन हुआ। "झनक झनक पायल बाजे", "दो आंखें बारह हाथ" और "नवरंग" जैसी फिल्मों में उनका अभिनय आज भी याद किया जाता है। ये सभी फिल्में उनके पति और प्रसिद्ध निर्देशक वी. शांताराम द्वारा निर्देशित थीं।

शेफाली जरीवाला

"कांटा लगा" गाने से रातोंरात लोकप्रिय हुईं शेफाली जरीवाला की 42 वर्ष की उम्र में अचानक मौत ने प्रशंसकों को झकझोर दिया। रियलिटी शोज़ "बिग बॉस" और "नच बलिए" में भी उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी।

                         पंकज धीर

टीवी धारावाहिक "महाभारत" में कर्ण की भूमिका निभाने वाले पंकज धीर का 15 अक्टूबर को कैंसर से जूझते हुए निधन हुआ। 68 वर्षीय अभिनेता "चंद्रकांता" में राजा शिवदत्त के किरदार से भी लोकप्रिय हुए।

क्लासिकल डांसर अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित

1970 के दशक की मशहूर गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का नवंबर में 71 वर्ष की उम्र में निधन हुआ। वे अभिनेता विजेता पंडित की बहन और संगीतकार जोड़ी जतिन-ललित की रिश्तेदार थीं। उनकी आवाज़ और अदायगी ने उन्हें एक अलग पहचान दी।

2025 में सिनेमा ने जिन सितारों को खोया, वे सिर्फ़ कलाकार नहीं थे-वे भारतीय सांस्कृतिक स्मृति का हिस्सा थे। उनकी फिल्मों, गीतों और किरदारों के ज़रिये वे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।