अलीगढ़ एसएसपी नीरज जादौन की मानवीय पहल, 24 बच्चों को नशे से मुक्ति दिलाकर शिक्षा से जोड़ा, पढ़ाई की भरेंगे पूरी फीस...
अलीगढ़, न्यूज। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और सड़कों पर भटकते नाबालिग बच्चों की आंखों में अक्सर नशे की लत उन्हें असुरक्षित भविष्य की ओर धकेल देती थी। रेस्क्यू करने के बाद अभी तक इन बच्चों को उनके परिजन को सौंप दिया जाता था। लेकिन अलीगढ़ एसएसपी ने दिसंबर के दूसरे सप्ताह में रेस्क्यू इन बच्चों के लिए मानवीय पहल के तहत इंसानियत की राह चुनी।
नशा मुक्त अभियान के तहत पुलिस ने 24 ऐसे बच्चों को न सिर्फ नशे की गिरफ्त से बाहर निकाला, बल्कि उन्हें फिर से शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर जीवन की नई शुरुआत दी है। खास बात यह है कि गरीबी इन बच्चों की पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगी। एसएसपी स्वयं इन बच्चों की स्कूल फीस भरेंगे।
हर सप्ताह स्कूल में प्रवेश किए गए बच्चों की मॉनिटरिंग भी करेंगे पुलिसकर्मी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नीरज जादौन के निर्देशन में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग (एएचटी) प्रभारी एकता सिंह ने टीम के साथ रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व सार्वजनिक स्थलों पर अवैध केमिकल व साल्यूशन का सेवन कर रहे नाबालिग बच्चों को चिन्हित कर विधिक प्रक्रिया के तहत रेस्क्यू किया था। इसके बाद बच्चों को बाल संरक्षण केंद्र सेवियो नवजीवन बालभवन, तालानगरी में सुरक्षित रखा गया। जहां उनकी काउंसलिंग, देखभाल और मानसिक पुनर्वास किया गया।
बच्चों की गरीबी उनकी पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगी
इस पहल का सबसे मानवीय पक्ष तब सामने आया, जब यह तय किया गया कि बच्चों की गरीबी उनकी पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगी। खास बात यह है कि एसएसपी स्वयं इन बच्चों की स्कूल फीस का इंतजाम करेंगे। ताकि स्कूलों पर किसी तरह का आर्थिक भार न पड़े। बच्चों को उनके घरों के पास ही स्थित स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है, जिनमें शहर के कई प्रतिष्ठित और महंगे स्कूल भी शामिल हैं।
एएचटी थाना प्रभारी एकता सिंह और उनकी टीम ने बच्चों को स्कूल ड्रेस, किताबें और बैग उपलब्ध कराए। ताकि वे बिना किसी संकोच और हीनभावना के पढ़ाई शुरू कर सकें। पुलिस अधिकारी इन बच्चों की हर सप्ताह उनकी पढ़ाई, उपस्थिति और प्रगति की समीक्षा भी करेंगे। मॉनिटरिंग की जाएगी।
प्रवेश कराने को लेकर काफी करनी पड़ी माथापच्ची
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग (एएचटी) प्रभारी एकता सिंह ने बताया कि यह काफी चैलेंज भरा काम था। इन बच्चों को रेस्क्यू कराने के बाद लगातार इनके प्रवेश को लेकर काफी स्कूलों में भटकना पड़ा। कई स्कूल संचालकों ने स्कूल का सेशन देर हो जाने की बात कही। इसके बाद टीम के सदस्यों ने उन्हें काफी समझाया। बच्चों का आईक्यू लेवल चेक करने के बाद उन्हें उनके मानसिक लेवल के आधार पर उस कक्षा में प्रवेश दिलाया गया। इसमें शहर के कई नामी स्कूल हैं।