69 गोलियां चलीं, बुलेटप्रूफ जैकेट तक छलनी... दिल्ली के दो परिवारों की खूनी दास्तान, जानें...
साउथ दिल्ली के आया नगर गांव में दो परिवारों के बीच रंजिश ने खूनी रंग ले लिया। कुछ महीनों के अंदर दो हत्याएं हुईं। दोनों वारदातें दिनदहाड़े हुईं और दोनों में हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। इस झड़प में 72 गोलियां चलीं। पुलिस के मुताबिक, इसका कारण पैसों का पुराना विवाद है जो बदले की आग में बदल गया।
दो घरों में छाया मातम
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रतन लोहिया का घर साधारण दोमंजिला मकान है। अंदर बड़ा हॉल और चारपाइयां हैं। दीवार पर लगा बड़ा टीवी बाहर का सीसीटीवी फुटेज दिखाता रहता है। घर में अब सिर्फ रतन की पत्नी कमलेश और बेटी दीपिका रहती हैं। ऊपर से बच्चों की खेलने की आवाजें आती हैं, जो छुट्टियों में नानी के पास आए हैं। एक किलोमीटर दूर अरुण लोहिया का घर है। यह आलीशान मकान है। ऊंची दीवारें, कांटेदार तार और सफेद पिलर हैं। शाम होने के बाद भी अंदर अंधेरा रहता है। बाहर दो पुलिसकर्मी तैनात हैं। दोनों परिवारों के मुखिया अब इस दुनिया में नहीं हैं।
विवाद की शुरुआत
कहानी कोविड लॉकडाउन से शुरू होती है। रतन का बेटा दीपक डेयरी के काम में पिता का हाथ बंटाता था और स्कूल वैन चलाता था। लॉकडाउन में नौकरी चली गई। इसी दौरान दीपक और अरुण करीब आए। दोनों हुक्का पीते और घूमते थे। अरुण ने रियल एस्टेट का बिजनेस शुरू किया और दीपक को साथ जोड़ा। दीपक ने करीब 25 लाख रुपये निवेश किए। बाद में जब अपना हिस्सा मांगा तो अरुण टालता रहा। झगड़े बढ़े। अप्रैल 2024 में अरुण के लोगों ने दीपक को पीटा। दीपक ने केस दर्ज कराया और हत्या की कोशिश का मुकदमा चला। पंचायत ने सुलह कराई और अरुण से माफी मंगवाई, लेकिन यह बात उसके अहंकार को चुभ गई।
पहली हत्या: अरुण की मौत
15 मई 2024 को छतरपुर मेट्रो स्टेशन के पास अरुण अपनी स्कॉर्पियो में पिता के साथ कोर्ट से लौट रहा था। एक अल्टो कार ने रोक लिया। हमलावरों ने खिड़की खटखटाई और 10 गोलियां चलाईं। अरुण मारा गया। पुलिस ने दीपक और उसके दो साथियों योगेश और अजय को गिरफ्तार किया। दीपक के परिवार के कई सदस्यों पर भी मुकदमा चला। लेकिन अरुण का परिवार बदला लेने पर उतारू हो गया।
दूसरी हत्या: रतन पर 72 गोलियां
30 नवंबर 2024 की सुबह रतन डेयरी जा रहे थे। वे बुलेटप्रूफ जैकेट पहने थे, क्योंकि परिवार को धमकियां मिल रही थीं। एक निसान मैग्नाइट कार ने उन्हें रोका। पांच हमलावरों ने 72 राउंड फायरिंग की। 69 गोलियां रतन को लगीं। पहले तीन शॉट सिर पर मारे गए। फिर शरीर को छलनी कर दिया। फायरिंग चार मिनट तक चली। हमलावरों ने मैगजीन बदल-बदल कर गोलियां चलाईं। अस्पताल में डॉक्टरों ने दो घंटे मेहनत के बाद गोलियां निकालीं। यह दिल्ली के अपराध इतिहास में एक व्यक्ति पर सबसे ज्यादा गोलियां चलाने का मामला है। विदेशी पिस्तौलें जैसे जिगाना और बेरेटा इस्तेमाल हुईं। रतन की लाइटवेट जैकेट इनसे बचाव नहीं कर सकी।
गैंगस्टर कनेक्शन
पुलिस को शक है कि अरुण के चाचा कमल ने हत्या की साजिश रची। सीसीटीवी में वह शूटर्स में दिखा। अन्य शूटर्स अनुज उर्फ फाइटर और नरेंदर हैं। रणदीप भाटी गैंग से मदद ली गई। अमेरिका में बैठे गैंगस्टर नीरज फरीदपुरिया और हिमांशु भाऊ का नाम भी जांच में आया है। कार बरामद हो गई है, लेकिन गिरफ्तारियां अभी नहीं हुईं। पुलिस छापेमारी कर रही है।