छठपर्व पर प्रकृति के खिलाफ आस्था का हुआ जबरदस्त इम्तेहान; खुले आसमान के नीचे हजारों श्रद्धालुओं के बीच बारिश का मैच हुआ...
वाराणसी जिला ब्यूरो। छठ महापर्व पर मौसम ने इस बार श्रद्धालुओं की आस्था की अनोखी परीक्षा लेनी शुरू कर दी है। शाम के अर्घ्य के समय और उसके बाद कई शहरों में बारिश शुरू हो गई थी। इसके बावजूद हजारों भक्त नदियों, तालाबों और घाटों पर खुले आसमान के नीचे डटे हुए थे। गंगा, गोमती और अन्य नदियों के किनारे छठ व्रतियों ने छाता और तिरपाल के सहारे पूजा की और घाट पर ही जमे हुए थे। उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं दिखी।
मौसम विभाग ने पहले ही पूर्वांचल और अवध के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी दी थी। सोमवार की शाम वाराणसी के नमो घाट से लेकर अस्सी घाट तक डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ था। गंगा के उस पार रेती में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अर्ध्य के लिए जुटे थे। अर्ध्य देने तक को मौसम ने साथ दिया और केवल ठंडी-ठंडी हवाएं चलती रहीं। आसमान में बादलों के कारण सूर्य देव तो नहीं दिखे लेकिन समय पर श्रद्धालुओं ने अर्ध्य दिया।
काफी संख्या में श्रद्धालु घाट पर ही सुबह का इंतजार शुरू कर दिया। इसी बीच शाम सात बजे के बाद रिमझिम बारिश शुरू हो गई। बारिश शुरू होते ही अफरातफरी मच गई। श्रद्धालु अपने आप को बचाने की जगह पूजा सामग्री और जलते दिए को संभालने में जुटे रहे। वाराणसी में वैसे सुबह से ही आसमान में बादल छाए थे। सिगरा, नदेसर, महमूरगंज, अर्दली बाजार सहित अन्य इलाके में पांच बजे के करीब भी दस मिनट तक बूंदाबादी हुई। इससे पहले दोपहर करीब तीन बजे ककरमत्ता, मंडुवाडीह, चितईपुर सहित अन्य इलाके में भी बूंदाबादी हुई।
शाम में करीब सात बारिश की रफ्तार तेज हो गई। गंगा किनारे से लेकर जगतगंज, लहुराबीर, दालमंडी, चौकाघाट, मकबूल आलम रोड सहित अन्य इलाके में भी बूंदाबादी शुरू हो गई। दिन का तापमान सामान्य से 0.4 डिग्री ज्यादा 29.5 और रात का तापमान सामान्य से छह डिग्री ज्यादा 24.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। यानी दिन और रात के तापमान में महज पांच डिग्री का अंतर है।
इसी तरह, प्रयागराज के संगम, लखनऊ के गोमती घाट और गोरखपुर के रामगढ़ ताल पर भी भक्तों की भीड़ उमड़ी। यहां भी बारिश ने पूजा में व्यवधान डालने की कोशिश की। फिर भी महिलाएं और पुरुष छठ मइया के गीत गाते हुए हाथ में पूजा की टोकरी लिए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाने में जुटे रहे।