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लखनऊ की 'सियासी रणभेरी': मायावती ने किसे दी 'आई लव' की नसीहत, बोलीं: देवी-देवताओं को बदनाम करने की प्रवृत्ति छोड़े...

लखनऊ की 'सियासी रणभेरी': मायावती ने किसे दी 'आई लव' की नसीहत, बोलीं: देवी-देवताओं को बदनाम करने की प्रवृत्ति छोड़े...

Mayawati Rally 2025: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने राजधानी लखनऊ में एक बड़ी राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। मौका था पार्टी संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस का, और मंच था लखनऊ का कांशीराम स्थल।इस महारैली में दूर-दराज के राज्यों से आए कार्यकर्ताओं और समर्थकों का हुजूम उमड़ा, जो स्पष्ट संकेत था कि बसपा सुप्रीमो अपनी संगठनात्मक ताकत और दलित समुदाय के बीच अपने गहरे प्रभाव को मजबूती से दिखाना चाहती हैं।

भीड़ से खचाखच भरे मैदान में, मायावती ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में विपक्ष पर ताबड़तोड़ हमले किए। लेकिन इस बार उनके निशाने पर सिर्फ सियासत नहीं थी, बल्कि एक नया और संवेदनशील मुद्दा भी था। वह है "आई लव" की राजनीति।

'आई लव' की सियासत से दूर रहें

बसपा सुप्रीमों ने अपने भाषण में एक बहुत साफ और कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को देवी-देवताओं के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए और 'आई लव' की राजनीति से दूर रहना चाहिए। उनका यह बयान उस समय आया जब देश के कई हिस्सों में "आई लव मोहम्मद" बैनर को लेकर सांप्रदायिक विवाद गरमाया हुआ है।

मायावती ने स्पष्ट किया कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को हवा देना समाज में सिर्फ सौहार्द बिगाड़ने का काम करता है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष को चेतावनी देते हुए कहा कि धार्मिक भावनाओं को भड़काकर वोट बटोरने की कोशिशें कामयाब नहीं होंगी। उन्होंने बसपा सरकार बनाने की अत्यंत जरूरत पर जोर दिया, ताकि समाज में भाईचारा बना रहे और सभी वर्गों के हित सुरक्षित हों।

दलित वोटों को बांटने की साज़िश?

मायावती ने अपने कोर वोट बैंक दलित समुदाय को सचेत करते हुए एक बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके वोट को बांटने का काम ज़ोरों पर चल रहा है। इसके लिए समाज के कुछ 'स्वार्थी लोगों' का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनसे सावधान रहने की सख्त ज़रूरत है।

इसके साथ ही, बसपा सुप्रीमो ने एक बार फिर ईवीएम पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर लगातार धांधली के आरोप लगते रहे हैं और उन्होंने इस सिस्टम को खत्म करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि यदि बसपा की सरकार आती है, तो लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने के लिए इस व्यवस्था पर विचार किया जा सकता है।

सपा पर वार

अपने भाषण के दौरान, मायावती ने मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान को कुचला गया और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को संसद तक नहीं पहुंचने दिया गया, न ही उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
 

सपा पर सीधा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि इस पार्टी ने हमेशा कांशीराम का अपमान किया है। उन्होंने सपा पर आरोप लगाया कि जब वे सत्ता में होते हैं, तो उन्हें न तो 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) याद आता है और न ही कांशीराम का संघर्ष। उन्होंने दलित समाज को जागरूक होने और अपने हक के लिए एकजुट होने का आह्वान किया, क्योंकि उनके अनुसार, आरक्षण का पूरा लाभ अभी भी नहीं मिल पाया है।

मायावती का यह धारदार भाषण साफ तौर पर यह बताता है कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बसपा पूरी ताकत से मैदान में उतरने को तैयार है और उसका फोकस अपने परंपरागत वोट बैंक को एकजुट करने और विपक्षी पार्टियों को हर मोर्चे पर घेरने पर है।