टेक्नोलॉजी न्यूज ::1.5 घंटे में दिल्ली से पटना... पलक झपकते ही ट्रेन गायब, 2 सेकंड में पकड़ी 0-700 KMPH की स्पीड, जानें इसके बारे में...
नई दिल्ली, ब्यूरो। चीन ने हाई स्पीड ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है. चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी यानी एनयूडीटी (National University of Defense Technology) की रिसर्च टीम ने सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव टेक्नोलॉजी में नया वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। इस टेस्ट में 1 टन वजन वाले एक टेस्ट व्हीकल को सिर्फ 2 सेकंड में 0 से 700 kmph की स्पीड तक पहुंचा दिया गया. इस स्पीड पर दिल्ली से पटना पहुंचने में 1.5 घंटे से भी कम समय लगेगा।
यह कोई पैसेंजर ट्रेन नहीं थी, बल्कि ट्रेन जैसे स्लेज का इस्तेमाल किया गया था, जिसे खास तौर पर रिसर्च और टेस्टिंग के लिए डिजाइन किया गया है. यह प्रयोग 400 मीटर लंबी मैग्लेव ट्रैक पर किया गया और इतनी जबरदस्त रफ्तार के बाद व्हीकल को सुरक्षित तरीके से रोका भी गया, जिसने इस उपलब्धि को और भी खास बना दिया।
क्यों खास है यह मैग्लेव रिकॉर्ड
इस टेस्ट में हासिल की गई एक्सेलरेशन लगभग 97 मीटर प्रति सेकंड स्क्वायर रही, जो करीब 9.9g फोर्स के बराबर है. इतनी ज्यादा फोर्स इंसान सहन नहीं कर सकता. यहां तक कि फाइटर पायलट्स भी करीब 9g तक की ट्रेनिंग लेते हैं और वह भी बहुत कम समय के लिए. इस रिकॉर्ड को खास बनाती है सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रिक मैग्लेव टेक्नोलॉजी, जिसमें मैग्नेट्स के जरिए व्हीकल को ट्रैक से ऊपर हवा में लेविटेट किया जाता है. इससे फ्रिक्शन लगभग खत्म हो जाता है और बेहद तेज एक्सेलरेशन संभव हो पाती है. यही वजह है कि टेस्ट के दौरान CCTV फुटेज में व्हीकल एक ब्लर की तरह नजर आया।
किस टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल
इस प्रयोग में सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट्स का इस्तेमाल किया गया, जो अल्ट्रा हाई पावर लेवल पर काम करते हैं. लेविटेशन और प्रोपल्शन दोनों ही मैग्नेटिक फोर्स से कंट्रोल किए गए, जिससे ट्रैक और व्हीकल के बीच किसी तरह का मैकेनिकल कॉन्टैक्ट नहीं रहा. यही तकनीक इसे पारंपरिक हाई स्पीड ट्रेनों से बिल्कुल अलग बनाती है. एनयूडीटी के प्रोफेसर ली जिए (Li Jie) के मुताबिक यह उपलब्धि अल्ट्रा हाई स्पीड मैग्लेव और स्पेस टेक्नोलॉजी दोनों के लिए नए रास्ते खोलेगी।
भविष्य में क्या हो सकता है असर
इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा असर भविष्य के ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर पड़ सकता है. वैक्यूम ट्यूब मैग्लेव सिस्टम, जिसे हाइपरलूप जैसी अवधारणा से जोड़ा जाता है, उसमें 1,000 kmph से भी ज्यादा स्पीड हासिल करना संभव हो सकता है. इसके अलावा एयरोस्पेस और स्पेस सेक्टर में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. रॉकेट लॉन्च असिस्ट सिस्टम, हाई स्पीड टेस्टिंग और स्पेस व्हीकल्स की ग्राउंड लॉन्च टेक्नोलॉजी में यह बड़ा रोल निभा सकती है।
रिपोर्ट्स और कन्फर्मेशन
इस रिकॉर्ड को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं है. चीनी स्टेट मीडिया सीजीटीएन (CGTN) और सीसीटीवी (CCTV) के साथ साथ साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (South China Morning Post), ग्लोबल टाइम्स (Global Times) और इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग (Interesting Engineering) जैसी इंटरनेशनल मीडिया संस्थाओं ने भी इस पर रिपोर्ट की है. टेस्ट की फुटेज भी सार्वजनिक की गई है. हालांकि यह अभी कॉमर्शियल पैसेंजर ट्रेन नहीं है, लेकिन टेक्नोलॉजी के स्तर पर यह एक बड़ा ब्रेकथ्रू माना जा रहा है. हाई स्पीड ट्रांसपोर्ट की रेस में चीन एक बार फिर बढ़त लेता नजर आ रहा है।