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बांग्लादेश का मयमनसिंह क्यों बना आज हिंदुओं की कत्लगाह? खून से लाल हुई सूफियों की धरती यूनुस गिन रहे हैं बस लाशें ही लाशें...

बांग्लादेश का मयमनसिंह क्यों बना आज हिंदुओं की कत्लगाह? खून से लाल हुई सूफियों की धरती यूनुस गिन रहे हैं बस लाशें ही लाशें...

Bangladesh Hindu Murder: बांग्लादेश का इतिहास देखें, तो इस देश को दुनिया के नक्शे पर लाने वाला भारत है. वही भारत, जिसका संविधान धर्मनिरपेक्षता पर चलता और और यहां सभी धर्मों के लोग अपनी रिलीजियस प्रैक्टिस के साथ सिर उठाकर जीते हैं। हमारे देश के बगल में जिस धरती को हमारे सैनिकों ने अपना लहू बनाकर अस्तित्व दिया, वहां इस वक्त भारत विरोधी गतिविधियां खुलेआम चल रही हैं. इतना ही नहीं यहां पर धर्म आधारित हिंसा की घटनाएं चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही बढ़ती जा रही हैं।

वैसे तो बांग्लादेश के हर इलाके में अल्पसंख्यकों के साथ नाइंसाफी हो रही है लेकिन मयमनसिंह इलाका अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है. इस जगह की चर्चा एक बार फिर से होने लगी है क्योंकि खालिदा जिया के मातम के बाद भी इस इलाके में एक हिंदू की हत्या हो गई. पहले इस जगह पर दीपू दास नाम के एक फैक्ट्री मजदूर की बेरहमी से भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. एक बार फिर यहीं एक 40 साल के हिंदू ब्रजेंद्र बिस्वास को 22 साल के नोमान मिया ने गोली मार दी. आखिर क्यों यहां हिंदुओं को टार्गेट किया जा रहा है?

मयमनसिंह का इतिहास ऐसा नहीं था

मयमनसिंह जिला बांग्लादेश का एक महत्वपूर्ण विभागीय मुख्यालय और सिटी कॉर्पोरेशन है. ऐतिहासिक रूप से इसे 'मोमेंशाही' और 'नासिराबाद' के नाम से जाना जाता था. मुगल काल में इस क्षेत्र का नाम एक सूफी संत मोमेन शाह के नाम पर पड़ा. वे कश्मीर के मशहूर सूफी संत थे, जिन्होंने अमन-शांति और सौहार्द का पैगाम दिया था. सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह के बेटे नासिरुद्दीन नसरत शाह के नाम पर इसे नसरतशाही या नासिराबाद कहा गया, जो समय के साथ बदलकर मयमनसिंह हो गया। 

1787 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस शहर की स्थापना की. वर्ष 2015 में इसे एक नए प्रशासनिक विभाग के रूप में गठित किया गया. यह जिला भारत के मेघालय राज्य की सीमा से लगा हुआ है और इसके उत्तर में गारो पहाड़ियां मौजूद हैं. यहां गारो, कोच और हाजोंग जैसे आदिवासी समुदाय भी निवास करते हैं. मयमनसिंह बांग्लादेश के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।

आखिर क्यों यहां हिंदू रहते हैं टार्गेट पर?

2022 की बांग्लादेश जनगणना के मुताबिक मयमनसिंह जिले में धर्म के हिसाब से आबादी ही हिंदुओं के प्रति फैली हिंसा की मुख्य वजह है. इस जगह की कुल जनसंख्या 58,99,905 है. इसमें 5,665,401 लोग इस्लाम मानते हैं, जबकि 202,432 लोग हिंदू धर्म. ईसाइयों और बौद्धों की संख्या 0.5 फीसदी से भी कम है. इसका सीधा मतलब ये है कि मयमनसिंह जिले की आबादी में मुसलमान बहुमत यानि 96 फीसदी हैं और हिंदू अल्पसंख्यक. समुदाय की हिस्सेदारी लगभग तकरीबन 3-4 प्रतिशत के आसपास है। 

बांग्लादेश की कुल हिंदू आबादी देश की कुल आबादी का लगभग 8 प्रतिशत है, लेकिन यहां सिर्फ 3-4 प्रतिशत. मयमनसिंह जिला अधिकांश रूप से मुसलमानों का क्षेत्र है, जबकि हिंदू समुदाय एक छोटे लेकिन मौजूद अल्पसंख्यक समूह के रूप में रहता है. ऐसे में धर्म आधारित हिंसा के माहौल में यहां के हिंदुओं का टार्गेट करना आसान है, जैसा कि दीपू दास की मॉब लिंचिंग के वक्त देखा गया था. लाखों की संख्या में आई भीड़ ने 27 साल से दीपू दास को पीट-पीटकर मार डाला था और पुलिस कुछ नहीं कर पाई थी।