Headlines
Loading...
'राम राज्य' और 'गांधी' अलग नहीं... मनरेगा का नाम बदलने पर थरूर ने कांग्रेस को दिखाया आईना, सरकार को नसीहत...

'राम राज्य' और 'गांधी' अलग नहीं... मनरेगा का नाम बदलने पर थरूर ने कांग्रेस को दिखाया आईना, सरकार को नसीहत...

केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा (MGNREGA) योजना का नाम बदलने के प्रस्ताव और नए 'G-RAM-G' बिल को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस पार्टी इसका विरोध कर रही है और इसे गांधी का अपमान बता रही है। लेकिन इस शोरगुल के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने न केवल सरकार को जवाब दिया है, बल्कि परोक्ष रूप से अपनी ही पार्टी (कांग्रेस) को भी आईना दिखा दिया है। 

अक्सर देखा गया है कि 'राम' या 'राम राज्य' के नाम पर कांग्रेस और विपक्ष रक्षात्मक मुद्रा में आ जाते हैं, लेकिन थरूर ने खुलकर 'राम राज्य' का समर्थन किया है और इसे महात्मा गांधी के सपनों का अटूट हिस्सा बताया है. इतना ही नहीं, उन्‍होंने सरकार को भी नसीहत दी।

शशि थरूर ने 'X' पर कहा- 'राम' से परहेज करना गांधीवाद नहीं है. उन्होंने तर्क दिया कि महात्मा गांधी के लिए 'राम राज्य' और 'ग्राम स्वराज' कभी भी विरोधी विचार नहीं थे. थरूर ने ट्वीट किया, सरकार के प्रस्तावित नए G-RAM-G बिल में मनरेगा का नाम बदलने को लेकर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है. ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी भी प्रतिस्पर्धी ताकतें नहीं थीं. वे गांधीजी की चेतना के दो प‍िलर्स थे।

सरकार को नसीहत: गांधी और राम को मत बांटो

थरूर ने सरकार के फैसले को अनावश्यक बताते हुए कहा कि गांधी का नाम हटाकर राम का नाम लाने की कोशिश करना, इन दोनों महापुरुषों के बीच एक ऐसी खाई पैदा करना है जो कभी थी ही नहीं. उन्होंने कहा, ग्रामीण गरीबों के लिए बनाई गई योजना में महात्मा का नाम हटाना इस गहरे सहजीवन (Symbiosis) की अनदेखी करना है. उनकी (गांधीजी की) अंतिम सांस 'राम' का वसीयतनामा थी; आइए हम एक ऐसा विभाजन पैदा करके उनकी विरासत का अपमान न करें जो कभी अस्तित्व में ही नहीं था।

कांग्रेस के लिए क्या है संदेश?

शशि थरूर का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. विश्लेषकों का मानना है कि थरूर ने अपनी पार्टी को यह समझाने की कोशिश की है कि 'राम राज्य' शब्द पर बीजेपी का एकाधिकार नहीं है. जहां कांग्रेस के कई नेता 'राम' के नाम से जुड़ी योजनाओं पर सीधे हमले से बचते हैं या उसे सांप्रदायिक चश्मे से देखने की गलती करते हैं, थरूर ने याद दिलाया है कि 'राम राज्य' तो खुद बापू का सपना था. थरूर ने स्पष्ट किया कि योजना का नाम बदलना जरूरी नहीं है, क्योंकि पिछले 20 सालों से यह नाम लोगों की जुबान पर है. उन्होंने कहा, "आप योजना की शर्तों को बदल सकते हैं, यह सरकार का विशेषाधिकार है. लेकिन नाम बदलना अनावश्यक है।

एक तीर से दो शिकार

शशि थरूर ने अपने इस सधे हुए बयान से एक तीर से दो शिकार किए हैं. पहला, उन्होंने केंद्र सरकार को बताया कि गांधी को हटाना राम का सम्मान नहीं हो सकता. और दूसरा, उन्होंने विपक्ष को यह राह दिखाई है कि 'राम' के विमर्श से भागने के बजाय उसे गांधीवादी नजरिए से अपनाकर ही बीजेपी की राजनीति का मुकाबला किया जा सकता है. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस अपने इस विद्वान नेता की नसीहत को कितनी गंभीरता से लेती है।