SIR के पहले चरण में संभल से 3 लाख से ज्यादा वोट काटे गए , चंदौसी में 99,183 वोटरों के नाम हटे, डेड लाईन के बाद परिणाम आ रहे सामने...
सम्भल। उत्तर परदेश के संभल जिले में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के बाद वोटरों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है. इस प्रक्रिया के दौरान जिले के कुल वोटरों में से 20 प्रतिशत लोगो के नाम ASD (Absent, Shifted, Deceased) श्रेणी में रखे गए है या ये कहे की मतदाता सूची से हटा दिए गए है। जिसके के कारण राजनीतक हलकों में घमासान मच गया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह असर सभी विधानसभा क्षेत्रों में बराबर नहीं पड़ा. मंत्री गुलाब देवी की विधानसभा समेत कई क्षेत्रों में हजारों वोटरों के नाम कटे हैं. प्रशासन का कहना है कि यह कदम मतदाता सूची को साफ और सटीक बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
SIR के पहले चरण में कितने वोटर हटे
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार SIR के पहले चरण में संभल जिले में कुल 15 लाख 70 हजार 306 मतदाता पंजीकृत थे।
इसमें से 3 लाख 19 हजार 6 मतदाताओं के नाम ASD (Absent, Shifted, Deceased) श्रेणी में चिह्नित किए गए हैं, जिसके बाद इन्हें मतदाता सूची से हटा दिया गया।
ASD श्रेणी में कौन-कौन से मतदाता
जिलाधिकारी के अनुसार, ASD में वे मतदाता शामिल हैं जो मृत पाए गए।
* लंबे समय से अनुपस्थित हैं
* स्थानांतरित हो चुके हैं
* या फिर डुप्लिकेट पाए गए
SIR के दौरान जिनके फॉर्म प्राप्त नहीं हुए, उन्हें भी इसी श्रेणी में रखा गया।
नो मैपिंग वाले मतदाताओं को अभी भी मौका
डीएम ने बताया कि जिले में 6.87 प्रतिशत मतदाता ऐसे भी हैं, जिनकी नो मैपिंग हुई है। इसका मतलब है कि उनके विवरण पुरानी मतदाता सूचियों से सही तरीके से मेल नहीं खा सके।
ऐसे मतदाताओं को अब भी अवसर दिया गया है कि वे जरूरी दस्तावेज या स्पष्टीकरण देकर दावा-आपत्ति दर्ज कराएं। सही प्रक्रिया पूरी करने पर उनके नाम दोबारा मतदाता सूची में जोड़े जा सकते हैं।
विधानसभा वार कितना घटा वोट बैंक
SIR के इस चरण का असर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर साफ नजर आया है।
* चंदौसी (SC) विधानसभा में सबसे ज्यादा 99,183 वोट घटे।
* गुन्नौर में 95,313 वोटरों के नाम कटे।
* संभल विधानसभा में 73,727 वोट कम हुए
जबकि असमोली में सबसे कम 50,781 वोटरों की संख्या घटी
क्या है ASD और नो मैपिंग की प्रक्रिया
ASD श्रेणी में वे मतदाता आते हैं जिनके फॉर्म SIR के दौरान जमा नहीं हुए या जिन्हें मृत, अनुपस्थित, स्थानांतरित या डुप्लिकेट माना गया.वहीं नो मैपिंग वे मामले हैं, जिनका डेटा 2003 या उससे पहले की पुरानी मतदाता सूचियों से मेल नहीं खा सका।
जिलाधिकारी ने साफ किया कि यह पूरी प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और त्रुटिरहित बनाने के लिए की जा रही है, ताकि आने वाले चुनावों में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो।
क्या करें प्रभावित मतदाता ?
जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं या जिनकी नो मैपिंग हुई है, उन्हें सलाह दी गई है कि वे तुरंत अपने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से संपर्क करें या निर्धारित फॉर्म के जरिए दावा-आपत्ति दर्ज कराएं।